चलता हूँ, अभी चलता हूँ - गोपालदास नीरज

ऐसी क्या बात है, चलता हूँ अभी चलता हूँ
गीत एक और ज़रा झूम के गा लूँ तो चलूँ!

भटकी-भटकी है नज़र, गहरी-गहरी है निशा,
उलझी-उलझी है डगर, धुँधली-धुँधली है दिशा,
तारे खामोश खड़े, द्वारे बेहोश पड़े
सहमी-सहमी है किरण, बहकी-बहकी है उषा,
गीत बदनाम न हो, ज़िन्दगी शाम न हो
बुझते दीपों को ज़रा सूर्य बना लूँ तो चलूँ!

ऐसी क्या बात है, चलता हूँ अभी चलता हूँ
गीत एक और ज़रा झूम के गा लूँ तो चलूँ!

बीन बीमार औ' टूटी पड़ी शहनाई है,
रूठी पायल ने न बजने की कसम खाई है,
सब के सब चुप कहीं गूँज, न झंकार कोई
और यह जब कि आज चाँद की सगाई है,
कहीं न नींद यह गँगा की मौत बन जाए
सोई बगिया में ज़रा शोर मचा लूँ तो चलूँ!

ऐसी क्या बात है, चलता हूँ अभी चलता हूँ
गीत एक और ज़रा झूम के गा लूँ तो चलूँ!

बाद मेरे जो यहाँ और हैं गानेवाले,
स्वर की थपकी से पहाड़ों को सुलानेवाले,
उजाड़ बागों -- बियाबान -- सूनसानों में
छंद की गंध से फूलों को खिलानेवाले,
उनके पाँवों के फफोले न कहीं फूट पडें
उनकी राहों के ज़रा शूल हटा लूँ तो चलूँ!

ऐसी क्या बात है, चलता हूँ अभी चलता हूँ
गीत एक और ज़रा झूम के गा लूँ तो चलूँ!

वे जो सूरज का गरम भाल खड़े चूम रहे,
वे जो तूफ़ान में कश्ती को लिए घूम रहे,
भरे भादों में घुमड़ती हुई बदली की तरह
वे जो चट्टान से टकराते हुए झूम रहे,
नए इतिहास की बाँहों का सहारा देकर
तख़्ते-ताऊस पर जो उनको बिठा लूँ तो चलूँ!

ऐसी क्या बात है, चलता हूँ अभी चलता हूँ
गीत एक और ज़रा झूम के गा लूँ तो चलूँ!

यह लजाती हुई कलियों की शराबी चितवन,
गीत गाती हुई पायल की यह नटखट रुनझुन,
यह कुएँ -- ताल, यह पनघट, यह त्रिवेणी, संगम
यह भुवन -- भूमि अयोध्या, यह विकल वृन्दावन,
क्या पता स्वर्ग में फिर इनका दरस हो न हो
धूल धरती की ज़रा सर पे चढ़ा लूँ तो चलूँ!

ऐसी क्या बात है, चलता हूँ अभी चलता हूँ
गीत एक और ज़रा झूम के गा लूँ तो चलूँ!

कैसे चल दूँ अभी कुछ और यहाँ मौसम है,
होने वाली है सुबह पर न सियाही काम है,
भूख -- बेकारी -- ग़रीबी की घनी छाया में
हर जुबाँ बंद है, हर एक नज़र पुरनम है,
तन का कुछ ताप घटे, मन का कुछ पाप कटे
दुखी इंसान के आँसू में नाहा लूँ तो चलूँ!

ऐसी क्या बात है, चलता हूँ अभी चलता हूँ
गीत एक और ज़रा झूम के गा लूँ तो चलूँ!

चलता हूँ, अभी चलता हूँ - गोपालदास नीरज चलता हूँ, अभी चलता हूँ - गोपालदास नीरज Reviewed by Dakhni on July 20, 2018 Rating: 5

2 comments:

  1. वाह , बेहतरीन, सादर चरण स्पर्श
    🌷🙏🌷

    ReplyDelete
  2. इससे अच्छा कुछ हो नहीं सकता, वैसे तो कोशिशें हर रोज की जाती हैं। आभार 🙏

    ReplyDelete

Powered by Blogger.